Tuesday, April 16, 2024

"दुर्गाष्टमी: मां दुर्गा के समर्पण और धार्मिक उत्सव का महत्व"

दुर्गाष्टमी का त्योहार हिन्दू धर्म में मां दुर्गा को समर्पित है और इसे नवरात्रि के आठवें दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा की जाती है और लोग उनके शक्ति और प्रेरणा की कथाओं को सुनते हैं। यह त्योहार विशेषकर उत्तर भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। दुर्गाष्टमी का महत्व इसलिए है क्योंकि इस दिन मां दुर्गा ने रक्तबीज राक्षस का वध किया था। उन्होंने नवदुर्गा के रूप में अष्टमी के दिन रक्तबीज का वध किया था और अपने भक्तों को रक्षा के लिए उनकी शक्तियों का प्रदर्शन किया था। दुर्गाष्टमी को उत्तर भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। लोग मां दुर्गा के मंदिरों में जाते हैं, उनकी पूजा करते हैं, और भजन-कीर्तन का आनंद लेते हैं। बड़े-बड़े मेले लगते हैं और लोग विभिन्न खास खाने का आनंद लेते हैं। इस दिन कई स्थानों पर रामलीला का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें लोग भगवान राम के जीवन के अनुसार नाटक देखते हैं। इस दिन के त्योहार की धूमधाम से धूमधाम से मनाने के बाद, लोग अपने घरों में प्रसाद तैयार करते हैं और अपने परिवार के साथ इसे साझा करते हैं। धर्मिक कार्यक्रमों के साथ-साथ, इस दिन के त्योहार पर लोग एक दूसरे को बधाई देते हैं और एक-दूसरे के साथ खुशियों का आनंद लेते हैं। इस रूप में, दुर्गाष्टमी का त्योहार मां दुर्गा की शक्ति और साहस को याद करने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण और धार्मिक उत्सव है। इस दिन को भक्ति, आनंद, और परिवार के साथ मनाना बहुत ही सार्थक और आनंदमय होता है।
दुर्गाष्टमी: मां दुर्गा के समर्पण और धार्मिक उत्सव का महत्व
दुर्गा अष्टमी की आरती जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
 तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥ 
 ओं जय अम्बे गौरी॥ 
 माँग सिंदूर विराजत, तिको मृगमद को। 
उज्ज्वल से दोई नैना, चारू भुवन को॥ 
चंद्र सोहती है, मुख महाविशाला। 
नंदिनी वृद्धि को, तुही ब्रह्म जी को॥
 मां आरती कीजें। जो कोई नर गाता।
 उर आनंद समाता, पाप घर जाता॥ जय अम्बे गौरी॥ 
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भर्ता। 
भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति कर्ता॥ 
भूजा चर अट चतुर्भुजा, दश भुजा धारी।
 रिपुदलभ भवानी, सुहासिनी भवानी॥
 कनक मणि के तारा, राजत बटो राजे। 
कोटि रतन की जय जो कोई, जो मंगलधारे॥ 
जय अम्बे गौरी॥ शुंभ निशुम्भ विदारे महिषासुर घाती। 
धूम्र विलोचन नैना निशदिन माधाती॥ 
ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमलानी। आगम निगम बखानी,
 तुम शिवपत्नी॥ चौंसट योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरू। 
मन चंगा विश्वधारी, धन्य धन्य भारती॥
 जय अम्बे गौरी॥ तुम्हे निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी। माता जी, माता जी, माता जी॥ ________________________________________

Monday, April 15, 2024

Navratri Special 2024

नवरात्रि, हिन्दू धर्म के एक प्रमुख त्योहार है जो नौ दिनों तक मनाया जाता है। इस उत्सव का महत्वपूर्ण पात्र माँ दुर्गा की पूजा और उनकी आराधना है। नवरात्रि का मतलब होता है 'नौ रातें', और इस मौके पर भक्त नौ दिनों तक नौ रात्रि के दौरान देवी दुर्गा की पूजा करते हैं। नवरात्रि के पावन अवसर पर हिन्दू घरों में उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर मंदिरों में धार्मिक गाने, भजन और कथाएँ सुनी जाती हैं। रात्रि के समय आरती की जाती है और दीपों का प्रकाश किया जाता है। इस अवसर पर विभिन्न भोग, प्रसाद और व्रत का आहार तैयार किया जाता है जो माँ दुर्गा को अर्पित किया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों का प्रत्येक दिन एक विशेष रूप से मनाया जाता है। प्रत्येक दिन का अलग-अलग नाम होता है और उस दिन की विशेष पूजा की जाती है। नवरात्रि के आठवें और नौवें दिनों को कन्या पूजा के रूप में मनाया जाता है, जिसमें नौ युवतियों को भोजन के रूप में बुलाकर उनके पैर धोए जाते हैं और उन्हें वस्त्र और खिलौने भी दिए जाते हैं। यह पूजन नवरात्रि का अवसर भगवान की उपासना के साथ-साथ नारी शक्ति की महत्वपूर्णता को भी दर्शाता है। नवरात्रि के अंतिम दिन को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है, जिसे विजयादशमी का त्योहार भी कहा जाता है। इस दिन भगवान राम ने लंका के रावण को मारकर विजय प्राप्त की थी और अयोध्या में लौटने के लिए विजयानुलक्षी प्राप्त की थी। इस दिन लोग नगर के मुख्य स्थानों पर रावण के पुतले को आग में लगाते हैं, जिससे वे बुराई का प्रतीक है। इस दिन भी लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुशियों के उत्सव का आनंद लेते हैं। इस पावन अवसर पर लोग ध्यान केंद्रित करके माँ दुर्गा की आराधना करते हैं और उनकी कृपा की कामना करते हैं। यह उत्सव हिन्दू संस्कृति और परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो समृद्धि, सम्मान, और सम्मान के साथ साथ परिवार के साथ खुशियों का सम्बंध बनाए रखता है। नवरात्रि एक मनोरंजन और धार्मिकता का अद्वितीय संगम है जो हमें अपने साथी और समाज के साथ जोड़ता

Thursday, April 4, 2024

Ram navami

रामनवमी, हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम के जन्म की खुशी मनाई जाती है, जो भारतीय समाज में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। रामनवमी के दिन हिन्दू समुदाय में उत्साह और धर्मिक आत्मा की ऊर्जा महसूस होती है। रामनवमी का उत्सव पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। लोग घरों को सजाते हैं, मंदिरों में भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है, और विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों को आयोजित किया जाता है। भगवान राम के जन्मदिन को याद करते हुए, लोग भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं और उनके गुणों का गान करते हैं। रामनवमी के उत्सव में लोग रामलीला का आयोजन करते हैं, जिसमें भगवान राम के जीवन की कहानी को नाट्यरूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह नाटक लोगों को धर्मिक शिक्षा देने के साथ-साथ मनोरंजन भी प्रदान करता है। रामनवमी के उत्सव में धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों के अलावा, लोग अपने घरों को सजाते हैं और उन्हें रंग-बिरंगे प्रकारों में सजाते हैं। मंदिरों में भजन-कीर्तन का आयोजन होता है और लोग भगवान राम की आराधना करते हैं। इस त्योहार को मनाने के लिए लोग अपने घरों को सजाते हैं और उन्हें दिव्य और सुंदर रूप में सजाते हैं। घरों में तुलसी का पौधा रखा जाता है और लोग उसे साफ और सुंदर रूप में सजाते हैं। भगवान राम के चित्र या मूर्ति को सजाया जाता है और पूजा के लिए तैयार किया जाता है। रामनवमी का उत्सव हिन्दू समाज में बहुत ही उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं और भगवान राम की पूजा-अर्चना करते हैं।
Ram navami
रामनवमी का महत्व धार्मिक और सामाजिक दोनों ही है। यह त्योहार हमें यह याद दिलाता है कि हमें धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए और धर्म के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। इसके साथ ही यह हमें भाईचारे और सहयोग की भावना दिलाता है। रामनवमी का उत्सव हर साल बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार हमें यह याद दिलाता है कि हमें भगवान के धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए और उनके आदर्शों को अपनाना चाहिए। रामनवमी के उत्सव में लोग अपने घरों को सजाते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं, और विभिन्न प्रकार के धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। इस दिन लोग भगवान राम के जन्म की खुशी मनाते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। रामनवमी का उत्सव हर साल बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, मंदिरों में भजन-कीर्तन का आयोजन होता है, और विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों को आयोजित किया जाता है। इस त्योहार का महत्व धार्मिक और सामाजिक दोनों ही है। यह हमें यह याद दिलाता है कि हमें धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए और धर्म के आदर्शों को अपनाना चाहिए। इसके साथ ही यह हमें भाईचारे और सहयोग की भावना दिलाता है। समाप्ति के रूप में, रामनवमी एक ऐसा धार्मिक उत्सव है जो हमें धर्म, समाज और भाईचारे की भावना से जोड़ता है। इसे लोग उत्साह, प्रेम, और आत्मानुभूति के साथ मनाते हैं और अपने जीवन में इसके महत्व को अपनाते हैं। यह एक ऐसा उत्सव है जो हमें सच्ची खुशियों का अनुभव कराता है और हमें जीवन में सकारात्मकता की ओर ले जाता है।

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